मां कालरात्रि

Maa Kalratri | मां कालरात्रि

कालरात्रि – काल अर्थ मृत्यु होता हे,और रात्रि का अर्थ अंधकार होता है। इसका प्रकार कालरात्रि का अर्थ हुआ काल का नाश करने वाली। भय से मुक्ति प्रदान करने वाली देवी कालरात्रि की पूजा हम नवरात्रि के सातवें दिन करते हैं। इनकी पूजा से प्रतिकूल ग्रहों द्वारा उत्पन्न दुष्प्रभाव और बाधाएं भी नष्ट हो जाती हैं। माता का यह रूप उग्र एवं भयावह है लेकिन अपने भयावह रूप के बाद भी यह भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं। ये देवी काल पर भी विजय प्राप्त करने वाली हैं। मां कालरात्रि का वर्ण घोर अंधकार की भांति काला है, बाल बिखरे हुए हैं तथा अत्यंत तेजस्वी तीन नेत्र हैं। इनके गले में बिजली की चमक जैसी माला भी होती है। मां के चार हाथों में से दो हाथ अभय मुद्रा और वर मुद्रा में होते हैं तथा शेष दोनों हाथों में चंद्रहास खडग अथवा हंसिया एवं नीचे की ओर वज्र (कांटेदार कटार) होती है। माता के तन का ऊपरी भाग लाल रक्तिम वस्त्र से एवं नीचे का भाग बाघ के चमड़े से ढका रहता है। इनका वाहन गर्दभ (गधा) होता है।
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है, मां कालरात्रि की पूजा करने से शनि दोष समाप्त होता है।

मां कालरात्रि की कथा

कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए। शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है। ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।

।। पूजन मंत्र ।।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

 

 

प्रथम दुर्गा मां शैलपुत्री | Maa shailputri
प्रथम दुर्गा मां शैलपुत्री
द्वितीय दुर्गा मां ब्रह्मचारिणी | Brahmcharini Maa
द्वितीय दुर्गा मां ब्रह्मचारिणी
Maa Chandraghanta
तृतीय दुर्गा मां चंद्रघण्टा
Maa Kushmanda
चतुर्थ दुर्गा मां कूष्मांडा
Maa Skandmata
पंचम दुर्गा मां स्कंदमाता
Maa Katyayani
षष्ठी दुर्गा मां कात्यायनी
Maa Kalratri
सप्तम दुर्गा मां कालरात्रि
Maa Mahagauri
अष्टम दुर्गा मां महागौरी
Maa Siddhidatri
नवम दुर्गा माँ सिद्धिदात्री

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