हनुमान जयंती

Hanuman Ji

भगवान शिव के 11वें अवतार माने जाने वाले हनुमान जी के जन्मदिवस को हनुमान जंयती के रूप में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में जगह जगह धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। हनुमान भक्त इस दिन व्रत रखकर हनुमान जी की विशेष आराधना करते हैं।

हनुमान जी को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। जब कोई कोई परेशानी सामने खड़ी हो जाती है तो सबसे पहले हनुमान जी को ही याद किया जाता है। हनुमान जी की माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी है। बजरंगबली के जन्म की एक रोचक कथा है।

हनुमान जन्म कथा

पहली कथा – पौराणिक कथानुसार, एक बार महान ऋषि अंगिरा भगवान इंद्र के देवलोक पहुंचे। वहां पर इंद्र ने पुंजिकस्थला नाम की अप्सरा द्वारा नृत्य प्रदर्शन की व्यवस्था की, लेकिन ऋषि को अप्सरा के नृत्य में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए वह गहन ध्यान में चले गए। अंत में जब उनके अप्सरा के नृत्य के बारे में पूछा गया थो उन्होंने ईमानदारी से कहा कि उन्हें नृत्य देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह सुनकर पुंजिकस्थला ऋषि पर क्रोधित हो गई बदले में ऋषि अंगिरा ने नर्तकी को श्राप देते हुए कहा कि वह एक बंदरिया के रूप में धरती पर जन्म लेगी। पुंजिकस्थला ने ऋषि से क्षमा याचना की लेकिन ऋषि ने अपना श्राप वापस नहीं लिया। नर्तकी एक अन्य ऋषि के पास गई और ऋषि ने अप्सरा को आशीर्वाद दिया कि सतयुग में भगवान विष्णु का एक अवतार प्रकट होगा। इस तरह पुंजिकस्थला ने सतयुग में वानर राज कुंजर की बेटी अंजना के रूप में जन्म लिया और उनका विवाह कपिराज केसरी से हुआ, जो एक वानर राजा थे इसके बाद दोनों के एक पुत्र हुआ जिसे शक्तिशाली हनुमान कहा गया है।

दूसरी कथा – हनुमान जी के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथानुसार सतयुग में राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ के मार्गदर्शन में पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया। जिसे ऋंगी ऋषि ने संपन्न किया। यज्ञ संपन्न होते ही यज्ञ कुंड से अग्निदेव स्वयं खीर का पात्र लेकर प्रकट हुए और तीनों रानियों को बांट दिया। उसी वक्त रानी कैकेयी के हाथों से एक चील ने खीर छीन ली और मुख में भरकर उड़ गई। चील जब उड़ी तो देवी अंजनी के आश्रम से होकर गुजरी और उस वक्त अंजनी ऊपर देख रही थी। अंजनी के मुख मे खीर का आंशिक भाग गिर गया और अनायास वह खीर को निगल गईं। जिसकी वजह से वह गर्भवती हुईं और उन्होंने चैत्र मास की पुण्य तिथि पूर्णिमा को बजरंगबली को जन्म दिया। अजरअमर बजरंगबली भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हुए और सदैव ब्रह्मचारी बने रहे।

हनुमान जयंती पर पूजा विधि

हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था. इसलिए हनुमान जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में पूजा करना अच्छा माना गया है. इस दिन हनुमान जी की प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए. इस दिन हनुमान चालीसा, सुदंरकांड और हनुमान आरती का पाठ करना चाहिए.

श्री हनुमान के 5 असरदार मंत्र-

ॐ रूवीर्य समुद्भवाय नम:।।
ॐ शान्ताय नम:।।
ॐ तेजसे नम:।।
ॐ प्रसन्नात्मने नम:।।
ॐ शूराय नम:।।


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