हरी नाम की माला जप ले, पल की खबर नही,ओ… ।
अन्तरघट मन को मथ ले, पल की खबर नही,ओ… ॥
॥ हरी नाम की माला ॥
नाम बिना ये तेरा, जीवन अधूरा है, घाटा सत्संग बिना, होता नही पूरा है ।
तेरी बीती उमरिया सारी, पल की खबर नही,ओ… ॥
रिश्तेदार सारे यहाँ, मतलब के यार हैं, क्यों मुँह लगाना ये तो, झूठा संसार है ।
प्रभु नाम से प्रीत लगा ले, पल की खबर नही,,ओ… ॥
पर उपकार करे जो, वो सच्चा इंसान है, नाम प्याला जिसने, पिया वो महान है ।
उसकी सतगुरु करे रखवाली, पल की खबर नही,ओ… ॥
कितना प्यारा तन ये तेरा, प्रभु ने बनाया है, माया धन सुख में तूने, नाम को भुलाया है ।
गुरु शरन आ भूल सुधारी, पल की खबर नही,ओ… ॥
कर्म कांड सारे बिना, नाम के बेकार है, सेवा व्रत सुमिरन प्रभु, मिलन के द्वार है ।
हरि नाम को तूँ अपना ले, पल की खबर नही,ओ… ॥