सुन्दर कांड क्या है

Hanuman Ji Colors of Bhakti

सुन्दर कांड श्री राम चरित मानस का 5 वा अध्याय है। जिसमे हनुमान जी का सीता माता को खोज करना और उनका का विजय आदि का वर्णन है। सुन्दरकाण्ड रामायण का एकमात्र अध्याय है जिसमें नायक राम नहीं हैं, बल्कि भगवान हनुमान हैं। ऐसा अनुमान है कि सुंदरकांड पाठ में करीब साठ (60) दोहे हैं।

सुंदरकाण्ड का नाम कथा

सुन्दरकाण्ड नाम होने के पीछे विभिन्न कथा हैं जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार है।

पहली कथा – इसमें हनुमान जी जब माता सीता की खोज के लिए लंका गए तब उन्होंने भगवान श्री राम की द्वारा दी गई अंगूठी उन्हें दी और अपनी पहचान बताई जिसके बाद माता सीता ने उन्हें आशीर्वाद दिया । अतः इस सम्पूर्ण सुंदर घटना के चित्रण को बताने के लिए ” सुन्दरकाण्ड ” नाम रखा गया।

दूसरा कथा यह है कि लंका तीन पर्वतों पर बसी थी । जिनमें से एक पर्वत का नाम ” सुन्दर ” था । ऐसा माना जाता है कि सुंदर पर्वत पर ही अशोक वाटिका थी। अतः इसलिए इसका नाम ” सुंदरकाण्ड ” रखा गया।

तीसरा कथा यह है कि से पाठ में हनुमान जी के अदम्य साहस, सूझ – बूझ, और सभी परीक्षाओं में विजय होने का वर्णन है। अतः इसका नाम ” सुन्दरकाण्ड ” रखा गया।

सुंदरकांड का महत्व
सुंदरकांड का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ मिलता है, आध्यात्मिक बल में बढ़ोत्तरी होती है, हनुमान जी की कृपा होने लगती है, जीवन के समस्त परेशानियां धीरे धीरे दूर होने लगती है सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में दुखों का नाश होता है परीक्षाओं में सफलता मिलती है और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।


सुंदरकांड पाठ विधि:
सुंदरकांड पाठ करने के लिए विभिन्न बातें ध्यान में रखना अतिआवश्यक होता है।

१- शुद्धता का ध्यान रखना – आप जब भी सुंदरकांड पाठ का पाठ करने जा रहे है तो यह ध्यान रखे कि आपका शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना अतिआवश्यक है। दूसरी ओर आप जिस स्थान पर सुंदरकांड पाठ कर रहे हैं उस स्थान की शुद्धता का ध्यान रखना अति आवश्यक है। इसलिए सर्वप्रथम स्वयं को और अपने आस पास के स्थान को पूर्ण शुद्ध कर लें ।

२- वस्त्र – आप साफ और स्वच्छ वस्त्र को ही धारण करें।
३- यदि आप अकेले ही इस पाठ को कर रहे हैं तो अपने आसान को अलग रखे।
४- आप घी अथवा तेल का दीपक भी लगा सकते हैं और साथ ही सुगंधित धूप भी लगा सकते हैं।
५- आपको हनुमान जी की तस्वीर के साथ भगवान श्री राम की तस्वीर भी लगानी चाहिए।
६- इसके बाद पुष्प की माला भी अर्पित करें।
७- प्रसाद में आप लड्डु, अथवा गुड और चने का प्रसाद भी लगा सकते हैं। इसके अलावा जो भी संभव हो।
८- सुंदरकांड पाठ पूर्ण करके ही उठना चाहिए।
९- यदि कोई गलती हो जाए तो प्रभु से क्षमा याचना कर लें।
१० – सुंदरकांड पाठ के बाद प्रभु श्री राम की स्तुति भी अवश्य करें ।

सुन्दरकाण्ड पाठ के लाभ होता हैं।
१- सुन्दरकाण्ड के पाठ से प्रभु श्री राम और उनके भक्त हनुमान जी की कृपा जल्द ही होने लगती है।
२- सुन्दरकाण्ड के पाठ से हनुमान जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।
३- सुन्दरकाण्ड के पाठ से समस्त गृह कलेश और नकारात्मक शक्तियां ख़तम हो जाती है।
४- यह साधारण सा दिखने वाला सुन्दरकाण्ड बहुत ही असाधारण फल देने वाला होता है।
५- सुन्दरकाण्ड समस्त तांत्रिक बाधाओं को निष्प्रभावी कर देता है। अर्थात सुन्दरकाण्ड के आगे बड़े से बड़ा तंत्र यहां तक की मारण क्रियाएं भी निष्प्रभावी हो जाती हैं।
६- सुन्दरकाण्ड के समस्त खराब ग्रहों , पितृ बाधा , तंत्र बाधा , शत्रु सम्बन्धी समस्याएं , कर्ज की बाधा आदि को दूर करता है।
७- विद्यार्थियों को परीक्षाओं में सफल होने के लिए इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।
८- ऐसा माना जाता है कि सुन्दरकाण्ड के पाठ से जहां आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलती है वहीं दूसरी ओर शारीरिक बल और बुद्धि भी बढ़ती है।
९- ऐसा माना जाता है कि जो भी सुंदरकांड का पाठ करता है उसके समस्त रोग – दोष समाप्त हो जाते हैं।
१०- सुन्दरकाण्ड पाठ करने से समस्त भय दूर हो जाते हैं।

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