श्री रामचंद्र जी की आरती-4

Sita Ram

आरती जगमग जगमग जोत जली है

जगमग जगमग जोत जली है ।
राम आरती होन लगी है ।।

भक्ति का दीपक प्रेम की बाती ।
आरति संत करें दिन राती ।।

आनन्द की सरिता उभरी है ।
जगमग जगमग जोत जली है ।।

कनक सिंघासन सिया समेता ।
बैठहिं राम होइ चित चेता ।।

वाम भाग में जनक लली है ।
जगमग जगमग जोत जली है ।।


आरति हनुमत के मन भावै ।
राम कथा नित शंकर गावै ।।

सन्तों की ये भीड़ लगी है ।
जगमग जगमग जोत जली है ।।

।।इति श्री रामचंद्र जी आरती समाप्त।।

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