जगदम्बा जगतारिणी जगदाती जगपाल
इसके चरणन जो हुए उन पर होए दयाल
माँ की शीतल छाँव में स्वर्ग सा सुखहोये
जिसकी रक्षा माँ करे मार सके ना कोय
करुणामयी कापालिनी दुर्गा दयानिधान
जैसे जिसकी भावना वैसे दे वरदान
मातृ श्री महाशारदे नमता देत अपार
हानि बदले लाभ में जब ये हिलावे तार
जय जय आंबे माँ जय जगदम्बे माँ
नश्वर हम खिलौनों की चाबी माँ के हाथ
जैसे इशारा माँ करे नाचे हम दिन-रात
भाग्य लिखे भाग्येश्वरी लेकर कलम-दवात
कठपुतली के बस में क्या, सब कुछ माँ के हाथ
पतझड़ दे या दे हमें खुशियों का मधुमास
माँ की मर्जी है जो दे हर सुख उसके पास
माँ करुणा की नाव पर होंगे जो भी सवार
बाल भी बांका होए ना वैरी जो हो संसार
जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ
मंगला माँ के भक्त के, ग्रह में मंगलाचार
कभी अमंगल हो नहीं, पवन चले सुखकार
शक्ति ही को लो शक्ति मिलती इसके धाम
कामधेनु के तुल्य है शिवशक्ति का नाम
चन्दन वृक्ष है एक भला बुरे है लाख बबूल
बदी के कांटे छोड़ के चुन नेकी के फूल
माँ के चरण-सरोज की कलियों जैसे सुगंध
स्वर्ग में भी ना होगा जो है यहाँ आनंद
जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ
पाप के काले खेल में सुख ना पावे कोय
कोयले की तो खान में सब कुछ काला होय
निकट ना आने दो कभी दुष्कर्मो के नाग
मानव चोले पर नहीं लगने दीजो दाग
नवदुर्गा के नाम का मनन करो सुखकार
बिन मोल बिन दाम ही करेगी माँ उपकार
भव से पार लगाएगी माँ की एक आशीष
तभी तो माँ को पूजते श्री हरी जगदीश
जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ
जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ
जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ
जय जय आंबे माँ, जय जगदम्बे माँ
अन्य दुर्गा अमृतवाणी दुर्गा अमृतवाणी 1 – मंगलमयी भय मोचिनी दुर्गा अमृतवाणी 2 – दुर्गा माँ दुःख हरने वाली दुर्गा अमृतवाणी 3 – जगदम्बा जगतारिणी दुर्गा अमृतवाणी 4 – विधि पूर्वक जोत