श्री शिव जी की आरती-5

Shiva Ji भगवान शिव

आरती ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा

ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा। त्वं मां पालय नित्यं कुपया जगदीशा ॥
हर हर हर महादेव ॥ १॥

कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रुमविपिने। गुञ्जति मधुकरपुञ्जे कुञ्जवने गहने॥
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता। रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता॥
हर हर हर महादेव ॥ २॥

तस्मिल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता। तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता ॥
क्रीडा रचयति भूषारञ्जित निजमीशम्। इन्द्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम्॥
हर हर हर महादेव ॥ ३॥

बिबुधबधू बहु नृत्यत हृदये मुदसहिता। किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता ॥
धिनकत थै थै धिनकत मृदङ् वादयते। क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥
हर हर हर महादेव ॥ ४॥

रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्चलिता। चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां ॥
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते। अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥
हर हर हर महादेव ॥ ५॥

कर्पूरद्युतिगौरं पञ्चाननसहितम्। त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम् ॥
सुन्दरजटाकलापं पावकयुतभालम्। डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम् ॥
हर हर हर महादेव ॥ ६॥

मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्। वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम् ॥
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्। इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणम् ॥
हर हर हर महादेव ॥ ७॥

शङ्खनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते । नीराजयते ब्रह्मा वेदकऋचां पठते ॥
अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा। अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा ॥
हर हर हर महादेव ॥ ८॥

ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा। रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा ॥
संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते। शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः शृणुते॥
हर हर हर महादेव ॥ ९॥

।।इति श्री भगवान गंगाधर जी की आरती समाप्त।।

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