साप्ताहिक आरती संग्रह
सप्ताह दिवस ७
आरती जय शनि देवा, जय शनि देवा
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन, करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी, घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति, सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा, राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी, सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो, उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो, करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा ॥
हर शनिवार तुम्हारी, जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम, दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से, भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा ॥
।।इति श्री शनिदेव जी की आरती समाप्त।।