आरती जय ज्वाला रानी
जय ज्वाला रानी जय जवाला रानी |
प्रगटी पर्वत उपर कलयुग कल्याणी ||
सती लो की जिह्वा में गिर अधभूत तेज दिया |
नो ज्योति फिर प्रगटी शुभ स्थान लिया||
काली लक्ष्मी सरस्वती ज्वाला ज्योति बड़ी |
हिंगलाज अंनपूर्णा चंदड़ी बीच खड़ी ||
बिन दीपक बिन बाती पर्वत जोत जले |
जो पूजे साधक बन संकट आप टले ||
चंद्रहास राजा ने शुभ निर्माण किया |
गोरखनाथ गुरु को आदर मान दिया ||
ज्योति सभी बुझाने अकबर आया था |
क्षमा मांगकर तुमसे छत्र चढ़ाया था ||
शैय्या भवन है सुंदर माँ को अति भावे |
बार-बार दर्शन को है माँ मन चहावे ||
पान-सुपारी पेड़ा दूध चड़े जवाला |
शक्ति पीठ को पूजे हाथ लिए माला ||
करे जागरण सेवक प्रेम लिए मन में |
ऐसा ‘ओम’ आकर्षण तेरे दर्शन में ||
।।इति श्री ज्वाला माता जी आरती समाप्त।।