श्री गिरिराज गोवर्धन जी की आरती

Govardhan JI

आरती श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।

करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

।।इति श्री गोवर्धन महाराज जी आरती समाप्त।।

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